जिस अनुच्छेद 142 को उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बताया 'परमाणु मिसाइल', जानें सुप्रीम कोर्ट ने इसे कब-कब और कैसे किया प्रयोग

जीएन न्यूज, संवाददाता  ।
कुछ महीने पहले की बात है जब सुप्रीम कोर्ट ने एक खास फैसला सुनाया था। मामला था एक दलित छात्र अतुल कुमार का, जो IIT धनबाद में दाखिला लेना चाहता था। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह निर्धारित समय में फीस जमा नहीं कर सका। उसकी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केवल आर्थिक वजहों से एक होनहार छात्र को शिक्षा से वंचित करना न्यायोचित नहीं होगा, खासकर तब जब वह गरीब पृष्ठभूमि से आता हो। इसलिए कोर्ट ने IIT धनबाद को निर्देश दिया कि अतुल कुमार के लिए एक अतिरिक्त सीट उपलब्ध कराई जाए, ताकि वह अपने पसंदीदा कोर्स में दाखिला ले सके। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना न्याय की भावना को पूरा करने के लिए जरूरी है।

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जिस 'पूर्ण न्याय' की बात की, वह संविधान के अनुच्छेद 142 से जुड़ा हुआ है। यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह अपने समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश पारित कर सके। इसे न्यायपालिका की एक विशेष शक्ति माना जाता है। इसी अनुच्छेद का जिक्र उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मिली यह शक्ति किसी 'परमाणु मिसाइल' की तरह है। उन्होंने इस शक्ति के प्रयोग पर गंभीर टिप्पणी भी की।

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