ईपीसीएच ने “हिमाचल प्रदेश से हस्तशिल्प के निर्यात संवर्धन” पर जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया
धर्मशाला ( जीएन न्यूज, संवाददाता ) ।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने 02 जून 2025 को धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में “हिमाचल प्रदेश से हस्तशिल्प के निर्यात संवर्धन” पर एक जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया। इस सत्र में हस्तशिल्प निर्यातक, युवा उद्यमियों और कारीगरों सहित क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया, ताकि पारंपरिक शिल्प कौशल और समकालीन बाजार की मांगों के अंतर को कम किया जा सके, हिमाचल प्रदेश की समृद्ध कारीगर विरासत को संरक्षित करते हुए सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
इस अवसर पर, कांगड़ा पेंटिंग फ्यूजन विद वुड क्राफ्ट पर डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यशाला (डीडीडब्ल्यू) का भी उद्घाटन किया गया, जो डिजाइन नवाचार और कौशल संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने बताया।
ईपीसीएच महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ; ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना, श्री सागर मेहता; ईपीसीएच सीओए सदस्य:- श्री रवि के पासी, श्री राज कुमार मल्होत्रा, श्री गिरीश अग्रवाल, श्री अवधेश अग्रवाल, श्री शरद कुमार बंसल, श्री सलमान आज़म, श्री राजेश जैन, श्री प्रिंस मलिक, श्री जीशान अली, श्री ओ.पी. प्रहलादका, श्री प्रदीप मुछाला, श्रीमती जेसमीना जेलियांग, श्री मोहम्मद औसाफ, श्री सिमरनदीप सिंह कोहली; श्री संतोष आनंद, सहायक निदेशक, डीसी (हस्तशिल्प); श्री नजमुल इस्लाम, प्रमुख सदस्य निर्यातक; श्री आर.के. वर्मा, कार्यकारी निदेशक - ईपीसीएच; सत्र विशेषज्ञ:- डॉ. स्वाति शर्मा और श्रीमती अलका रावत, सहायक प्रोफेसर, निफ्ट कांगड़ा तथा हिमाचल प्रदेश से बड़ी संख्या में कारीगर और उद्यमी उपस्थित रहे श्री राजेश रावत, ईपीसीएच के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक ने बताया I
सेमिनार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ईपीसीएच महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि “ईपीसीएच में हम मानते हैं कि हमारे हस्तशिल्प क्षेत्र की सफलता सहयोग, नवाचार और ज्ञान-साझाकरण में निहित है। यह सेमिनार हिमाचल प्रदेश सहित पूरे देश में हस्तशिल्प निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए हमारे समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने आगे कहा कि आज हम विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यालय के सहयोग से कांगड़ा पेंटिंग फ्यूजन विद वुड क्राफ्ट पर डिजाइन और प्रौद्योगिकी विकास कार्यशाला (डीडीडब्ल्यू) का भी उद्घाटन कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य डिजाइन नवाचार और कौशल विकास के साथ कारीगरों को सशक्त बनाना है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए ईपीसीएच भविष्य में क्षेत्र के हस्तशिल्प क्षेत्र को और मजबूत और विविधतापूर्ण बनाने के लिए विभिन्न शिल्पों पर ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करेगा।” उन्होंने डिजाइनरों और प्रतिभागियों से नए उत्पाद विकसित करने का आग्रह किया, जिन्हें अगले आईएचजीएफ दिल्ली मेले में प्रदर्शित किया जा सके, जो 13-17 अक्टूबर, 2025 को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, दिल्ली/एनसीआर में आयोजित किया जाएगा।
ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा कि “हिमाचल प्रदेश, जो शाश्वत परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है, अपने उत्कृष्ट हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें जटिल लकड़ी की नक्काशी, कुल्लू और किन्नौर के हाथ से बुने हुए शॉल, चंबा रुमाल, धातु शिल्प और जीवंत कांगड़ा पेंटिंग शामिल हैं। ये शिल्प पीढ़ियों से चली आ रही समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कुशल शिल्प कौशल का प्रमाण हैं।”
सेमिनार के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए ईपीसीएच के उपाध्यक्ष श्री सागर मेहता ने कहा कि “हमारा उद्देश्य केवल निर्यात को बढ़ावा देने से कहीं आगे है; यह एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करना है, जहाँ हिमाचल प्रदेश के कारीगर अपने समृद्ध पारंपरिक कौशल को समकालीन बाजार की माँगों के साथ सामंजस्य स्थापित करके फल-फूल सकें। इस सेमिनार के माध्यम से, हमारा उद्देश्य उन्हें महत्वपूर्ण ज्ञान से सशक्त बनाना, उन्हें वैश्विक रुझानों से अवगत कराना और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य श्रृंखलाओं में उनके निर्बाध एकीकरण को सुविधाजनक बनाना है।”
इस अवसर पर उपस्थित सभी प्रमुख निर्यातकों ने अपने कारोबार के दौरान अपने अनुभव साझा किए और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के शिल्प की संभावनाओं पर प्रकाश डाला तथा कारीगरों को इस डिजाइन विकास कार्यशाला का लाभ उठाने तथा घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय बाजार की आवश्यकताओं के आधार पर उत्पाद विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। विशेष रूप से, श्री राजेश कुमार जैन ने कारीगरों से “अबकी बार हिमाचल से व्यापार” को अपनाने का आग्रह किया।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने कहा कि ईपीसीएच में हमारा मिशन निर्यात संवर्धन से कहीं आगे जाता है; हम हस्तशिल्प उद्योग तथा एमएसएमई की दीर्घकालिक सफलता को सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस सेमिनार ने प्रतिभागियों को व्यावहारिक उपकरण तथा अंतर्दृष्टि प्रदान की जो आज के कारोबारी माहौल में महत्वपूर्ण हैं।”
डॉ. स्वाति शर्मा और श्रीमती अलका रावत, सहायक प्रोफेसर, निफ्ट कांगड़ा ने नए उभरते डिजाइन रुझानों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसकी वैश्विक बाजार तलाश कर रहा है और निर्माताओं को ग्राहकों को आकर्षित करने वाले सबसे हालिया रुझानों को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता देनी चाहिए।
प्रतिभागियों द्वारा डिजाइन, रुझान और पूर्वानुमान और निर्यात प्रक्रियाओं से संबंधित प्रश्न पूछे गए। विशेषज्ञों द्वारा उनके उत्तर दिए गए और सदस्य निर्यातकों के साथ सकारात्मक बातचीत के साथ समापन हुआ।
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर, और फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों से बने उत्पादों को एक ब्रांड छवि बनाने की एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात का अनुमानित अस्थायी निर्यात ₹32,971.50 करोड़ (3898.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा, जो इस क्षेत्र की वैश्विक मांग और कारीगरों की गुणवत्ता का प्रमाण है।