आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी बगावत में 'यू-टर्न' लेकर अरविंद केजरीवाल का विश्वास जीत लिया, अब 9 साल बाद उन्हें इनाम मिला है।
ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज़, संवाददाता ) ।
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को अपना उत्तराधिकारी चुनकर दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति की घोषणा कर दी है। विधायक दल की बैठक में खुद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे विधायकों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। पहली बार विधायक और 2023 में मंत्री बनी आतिशी ने अपने करिश्माई तरीके से यह ऊंचाई प्राप्त की है। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की करीबी रही आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी बगावत में 'यूटर्न' लेकर केजरीवाल का भरोसा जीता।
यह घटना 2015 की है। 2012 में स्थापित पार्टी को तीन साल बाद एक बड़ा संकट सामना करना पड़ा था। पार्टी के प्रमुख नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण का अरविंद केजरीवाल से टकराव हो गया था। इस बगावत के दौरान आतिशी को पार्टी प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया था, क्योंकि उन्हें यादव का करीबी माना जाता था। कहा जाता है कि यादव ने ही आतिशी को आम आदमी पार्टी में शामिल किया था।
आतिशी ने उस समय एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जो आज 9 साल बाद उनके लिए लाभकारी साबित हुआ। उन्होंने एक पत्र लिखकर योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से दूरी बना ली और केजरीवाल के नेतृत्व पर भरोसा जताया। उन्होंने पार्टी के लिए काम करते हुए धीरे-धीरे केजरीवाल का विश्वास अर्जित किया। 2020 में, उन्हें कालका जी सीट से विधानसभा का टिकट मिला, और उन्होंने चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया। पार्टी ने फिर उन्हें मीडिया में प्रमुख चेहरा बनाया। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद, आतिशी को केजरीवाल की कैबिनेट में शामिल किया गया और उन्हें शिक्षा और बिजली समेत 18 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई।