बिसरख पुलिस ने जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में संगठित तरीके से कर चोरी व राजस्व हानि करने वाले एक बड़े गिरोह का किया पर्दाफाश, 2 आरोपी गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा ( जीएन न्यूज, संवाददाता ) ।

 सेट्रल नोएडा के  थाना बिसरख पुलिस ने जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में संगठित तरीके से कर चोरी व राजस्व हानि करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। टीम ने आरोपियों को पतवाड़ी क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान दोनों ने स्वीकार किया कि वे आपस में मिलकर फर्जी केवाईसी तैयार करते थे, फर्जी फर्म पंजीकृत कराते थे और उन्हीं फर्मों के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर आरोपी आईटीसी रिफंड के माध्यम से अवैध धन अर्जित करते थे।

आपको बता दे कि गिरोह द्वारा पिछले पांच वर्षों में जाली दस्तावेजों के आधार पर अनेक फर्जी फर्म खोलकर करोड़ों रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) रिफंड लेेने और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने का आरोप है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 10 फर्जी सील मोहरें, आधार कार्ड, चैक बुक, अकाउंट ओपनिंग फॉर्म और एक मोबाइल फोन बरामद किया है। आरोपी पिछले पांच वर्षों में 85 फर्जी फर्मों के जरिये 51 करोड़ रूपये की कर चोरी कर चुके है। 

डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि  प्रवीन कुमार निवासी गांव सलोनी थाना बहादुरगढ़ हापुड़ एवं सतेन्द्र सिंह निवासी गांव बिघराऊ थाना स्याना बुलंदशहर ने अपनी-अपनी तस्वीर लगाकर फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और रेंट एग्रीमेंट तैयार किए। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने विभिन्न नामों से उद्यम पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण और कई फर्जी फर्मों के नाम से बैंक खातों को सक्रिय कराया। इन खातों का उपयोग अवैध रूप से जीएसटी रिफंड की राशि मंगवाने और उसे तुरंत दूसरे खातों में स्थानांतरित करने में किया गया। पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह ने बैंक ऑफ इंडिया की गाजियाबाद व गौतमबुद्ध नगर की कई शाखाओं में कुल छह प्रमुख फर्मों के नाम पर खाते खुलवाए थे। इनमें मेसर्स रिद्धि सिद्धि एंटरप्राइजेज, मेसर्स भवानी इम्पेक्स, मेसर्स झलक एंटरप्राइजेज, मेसर्स गौरव एंटरप्राइजेज, मेसर्स दामिनी इंडिया इंटरनेशनल और मेसर्स राधिका एंटरप्राइजेज शामिल हैं। इन फर्मों के लिए भी फर्जी केवाईसी दस्तावेजो का ही उपयोग किया गया। रजिस्ट्रेशन में जिन व्यक्तियों के नाम दर्शाए गए थे। उनसे आरोपियों का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था। सभी फर्मों के पंजीकृत पते की पुलिस द्वारा की गई जांच में पुष्टि हुई कि ये पते भी गैर-मौजूद या फर्जी पाए गए।

पुलिस के मुताबिक छह खातों में 20 जून 2025 से 6 नवंबर 2025 के बीच कुल 3 करोड़ 42 लाख 77 हजार 254 रुपये का लेनदेन किया गया। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि इन खातों को संचालित करने के लिए 9 अलग-अलग मोबाइल नंबरों का उपयोग हुआ है। जबकि ये नौ नंबर 18 अलग मोबाइल उपकरणों में चल रहे थे। इन मोबाइल उपकरणों पर कुल 87 सिम कार्डों का इस्तेमाल होने का पता चला। पुलिस ने पाया कि इन्हीं 87 मोबाइल नंबरों का उपयोग कर 85 फर्जी फर्मों का निर्माण किया गया और अनुमान है कि इन फर्मों के जरिए लगभग 51 करोड़ रुपये के आईटीसी दावों के माध्यम से राजस्व को हानि पहुंचाई गई है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि पिछले पांच वर्षों में इन फर्मों से करीब 350 करोड़ रुपये के बिल जारी किए गए हैं।
 

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